Wednesday, August 13, 2008

“नहीं, नहीं...मैंने क़त्ल नहीं किया”

सड़क के किनारे ३ गाड़ियां खड़ी थी। एक थ्री व्हीलर और दो स्कोर्पियो। करीब-करीब 6-7 आदमी वहां खड़े थे। एक आदमी हाथ जोड़ रहा था और उसे ये मिलकर पीटने में लगे थे। मेरेk लिए अनुमान लगाना मुश्किल नहीं था कि जो पिट रहा था वो थ्री व्हीलर यानी ऑटो चलाने वाला था। मेरी बाइक की स्पीड अपने आप धीरे होती चली गई। एक दो और गाड़ियां रुकने लगी। वो मिन्नतें कर रहा था और ये सारे मिलकर उसे बुरी तरह से बेरहमी से पीट रहे थे। एक आदमी पर इतने सारे आदमी, ये कहां की बहादुरी है? मैं सोच ही रहा थी कि देखा एक आदमी आगे बढ़ा और भिड़ गया उन लोगों से। वो आदमी उन सब को रोक रहा था।
‘अरे, ये क्या कर रहे हैं आप। एक आदमी पर इतने लोग पिले हुए हों आखिर इस शख्स की गलती क्या है’।
वो आदमी देखने से पढ़ा लिखा और उसकी उम्र लगभग ३५-३६ के करीब की रही होगी। उस आदमी के हौसले की दाद देता हूं कि उसने ये जज्बा दिखाया। अब उन लोगों ने उस बेचारे को मारना बंद कर दिया। ‘हम साइड मांग रहे थे और ये दो कौड़ी का आदमी हमें साइड नहीं दे रहा था’।
जो शख्स बचाने गया था बिल्कुल बिफर पड़ा उन लोगों पर कि ये क्या बदतमीजी है। सिर्फ इतनी सी बात पर इतनी पिटाई, अरे, चोरों की पिटाई भी पुलिस इस तरह से नहीं करती। उस ऑटो वाले की तो हालत खराब थी। आंख से आंसू और चहरे से खून दोनों बराबर बह रहे थे। वो रो भी रहा था और बुदबुदाने में भी लगा हुआ था। इन लोगों को उसके बुदबुदाने पर गुस्सा आगया पहले बुदबुदाने को मना किया, लेकिन उसका बुदबुदाना बंद नहीं हुआ।
‘भगवान सब देख रहा है,कीड़े पड़ेंगे तुमको, तुम्हारे घर वालों को, मेरी क्या गलती थी..’।
उसका बुदबुदाना पसंद नहीं आया फिर लगे उसे मारने। जो शख्स बीच बचाव कर रहा था उसने बचाने की कोशिश की तो उस पर भी हाथ साफ करना इन दरिंदों ने शुरु कर दिया। अब एक नहीं दो आदमी पिट रहे थे और हम तमाशबीन बने ये सब देख रहे थे।
मैं नहीं जानता कि तब मुझे क्या हुआ। मैं भी और लोगों की तरह ये पूरा माजरा देख रहा था। वो दोनों बुरी तरह से पिट रहे थे। जो शख्स बचाने गया था उस की नजर एक बार मेरी नजर से मिली, आंखें बोल रही थी, “बताओ तो, क्या गलती है मेरी।” एक पल में मैंने बाइक साइड स्टैंड पर लगाई और हैल्मेट उतार, अपना चश्मा उसमें रख कर उनकी तरफ चल दिया।
मुझे अपनी तरफ आता देख उनमें से एक शख्स तुरंत मेरी तरफ लपका। उसकी लंबाई लगभग ६.४ होगी। मुझे नजदीक आता देख वो मुस्कुरा रहा था। वैसे मेरी लंबाई भी ६ के करीब ही है। फिर भी वो मेरे से बहुत लंबा लग रहा था। शरीर में मेरे से दोगुना, देखने से ही पहलवान की तरह लग रहा था। पता नहीं मैं अपने अंदर इतना गुस्सा क्यों और कैसे महसूस कर रहा था। उसके बाद जो कुछ हुआ मैंने कैसे कर दिया वो सब, मुझे पता नहीं।

जारी है....

आपका अपना
नीतीश राज

10 comments:

Anil Pusadkar said...

jo bhi kiya hoga achha hi kiya hoga.helmet utaarna,chashma utarnaa hi bata deta hi ek patrakar ke bheetar dhadhak raha gusse ka jwalamukhi jab fat ta hai to kya hota hai.achha kiya pita saalon ko.ye log hain hi is kaabil

कुश said...

anil ji se sahmat hu.. achha hi kiya hoga. elkin ek aur baat ki aapko padhkar hamara bhi khoon khaul utha..

रंजू भाटिया said...

सुधार की बहुत आवश्यकता है यहाँ ..न जाने क्यूँ इस कद्र इन्सान्यित खो देते हैं लोग ..आपने जो किया होगा वह ठीक ही होगा

PREETI BARTHWAL said...

ऐसे आवारा और बद् दिमाग वाले लोग,जो साथ में पैसे वाले भी हो तो सातवें आसमान में घूमते हैं।
जिनको ये भी नही मालूम कि उन्हें अपने जीवन में करना क्या है। बस जरा अपना अपमान ही महसूस होने लगे तो मारने लगते हैं गरीब को। आपने जो भी किया होगा सही ही होगा।

डॉ .अनुराग said...

jari rakhiye utsukta hai..aaj raj ji ki post par maine yahi kaha tha ki ab sachmuch sab badalraha hai ...ab beimaan ko saja nahi hoti...

Udan Tashtari said...

सिर चढ़े और आवारा बंदे हैं-आगे जानने की उत्सुक्ता है.

योगेन्द्र मौदगिल said...

बढ़िया निर्णय..
अनुकरणीय...
देश भर me यह सब सरेआम होता है.

अच्छा, ऐसा नहीं लगता,
दारू के दो पैग लगा कर घर में
मर्दानगी दिखाने वाले
सड़क पर हिजड़े हो जाते हैं...

Smart Indian said...

पोस्ट के शीर्षक से तो लग रहा है कि आपने क़ानून की परिधि के बाहर जाकर ही कुछ कर डाला. सच यह है कि इस तरह के सफेदपोश गुंडों की हिम्मत सिर्फ़ इसीलिये बढ़ती जाती है क्योंकि हम-आप जैसे लोग इनकी कारगुजारियों को देखकर भी अनदेखा करते रहते है.
शुभकामनाओं सहित, अनुराग शर्मा.

Deepak M. said...

apne vo kiya jo kar pane ki himmat bahut kam dikha pate hain. ummeed karte hain ki aap jaise logon ki snakhya men badhotari hogi.

समीर यादव said...

प्रथमतः आपको धन्यवाद ...मेरी तथा सुकवि बुधराम की ओर से.
आपकी रचनाये हमारी पीढी का प्रतिनिधित्व करती है..
निरंतर रहें..