मिसालें तो मिलती हैं और बहुत मिलती है, कुछ मिसालें याद की जाती है क्योंकि वो अनोखी होती हैं। दिल और दिमाग खोलकर पढ़िए ये मिसाल सिर्फ एक शख्स की नहीं, एक घर नहीं, एक कुनबा नहीं, चंद परिवार नहीं, एक गांव नहीं, पूरे 84 गावों के हजारों लोगों की मिसाल है।
माना जाता है लड़की की इज्ज़त वो पाक चीज होती है जिसकी कीमत ना तो बनाने वाले ने तय की ना ही खुद जिसकी वो है और खरीदने वाले की औकात ही नहीं जो ये तय कर सके। एक तरफ लड़की की इज्ज़त और दूसरी तरफ 84 गांव के हज़ारों लोग। गांव वालों के पास सिर्फ एक रात की मोहलत थी या तो वो लड़की की इज्ज़त का सौदा कर लें या फिर उस सज़ा के लिए तैयार हो जाएं जिसके क़हर से खुद सज़ा तक कांपती थी। रात गुजरी और सुबह से पहले ही 84 गांव हजारों लोगों ने जो फैसला किया उस कुर्बानी की मिसाल दुनिया में कोई दूसरी नहीं मिल सकती।
बस्ती जो कि पत्थर की बस्ती बनी, वहां आज सन्नाटा पसरा हुआ है पर बरसों पहले यहां पर जिंदगी बसा करती थी। वो जिंदगी क्या उजड़ी अब तो परिंदों की परवाज भी थम कर रह गई। बस्ती पर हावी है तो खामोशी जिसमें घुलने के बाद आवाज़ भी पुरजा पुरजा हो जाती है। वो जगह ना तो शमशान है ना ही कब्रिस्तान, पर वहां दफन हैं 84 गांव, जहां पर एक ही रात में भरी पूरी बस्ती पत्थर की बस्ती में तब्दील हो गई(बार-बार पत्थर की बस्ती लिखने का अभिप्राय ये है कि वहां पर सिर्फ और सिर्फ पत्थर यानी कि मकान रह गए हैं)।
जैसलमेर से 50 किलोमीटर की दूरी पर पत्थरों से बनी कुल 84 बस्तियां थी या यूं कह लें कि 84 गांव थे। ब्राह्मणों के एक गांव का नाम था पालिवाल। करीब 150 साल तक पूरी तरह आबाद और गुलजार रहे इस गांव को जैसलमेर के दीवान सालम सिंह की नज़र लग गई। सालम सिंह के बारे में कहा जाता है कि वो जैसलमेर का बेताज बादशाह था जबकि था वो सिर्फ एक दीवान। जहां से भी वो निकलता औरतें दरवाजों के अंदर ही अपने को महफूज समझती। जिस गली की तरफ उसके घोड़े का रुख होता वो गली पल भर में कई घंटों के लिए वीरान हो जाती। सालम सिंह की अय्याशियों की कई कहानियां प्रसिद्ध थीं। वो जिस को भी एक बार पसंद कर लेता, उसे अपने हरम में चाहता।
जारी है.....
आपका अपना
नीतीश राज
(सच्ची कहानी पर आधारित)
"जय हिन्द, फिर मिलेंगे"
1 year ago
7 comments:
पढ़ रहे हैं।
पढते रहेन्गे
बहुत अच्छा...जारी रखो पड़ रहे है.....
जारी रखे ..इस तरह के लेखन से किसी जगह के बारे में सही तरह से जानकरी मिलती है ..वहां क्या कैसा रहा होगा ...?और अब क्या हालात हैं वहां ..यह जाना जा सकता है ...
रोचक लेखनी है-पढ़ कर उस काल के चित्र उभर आते हैं-जारी रहिये.
मेरे तो रोंगटे खडे हो गये है,अगली कडी जल्द धन्यवाद
agali kadi ka jaldi se entjar rahega, dhnyabad,
Post a Comment